हरिद्वार, संजीव मेहता । मृतजनों के उद्धार हेतु हरिद्वार व प्रयाग की गंगा नदी में अस्थियों को विसर्जित किया जाता है । माना जाता जब भगीरथ गंगाजी को धरती पर लाए थे हरिद्वार में जैसे ही मां गंगा का आगमन हुआ भगीरथ जी के पूर्वजों की हड्डियों पर गंगाजी का पानी पड़ते ही उन्हे मुक्ति प्राप्त हुई। हरिद्वार के ब्रम्हकुंड में अस्थियों को विर्सजित किया जाता है। ऐसा भी कहा जाता है जब तक मृत व्यक्ति की अस्थियां हरिद्वार के इस ब्रह्म कुंड में रहती हैं तब तक उसे स्वर्ग में पूर्ण अधिकार मिला रहता है। ऐसा माना जाता है कि मनुष्य की अस्थियां वर्षों तक गंगा नदी में ही रहती हैं. और जब वे अस्थियाँ गंगाजी में रहती हैं तब तक वह मृत व्यक्ति के द्वारा किए गए पाप कर्मो को क्षीण करती रहती हैं वह मृत व्यक्ति के लिए पुनर्जन्म का नया मार्ग खोलती हैं । वैज्ञानिक रूप से भी अस्थियाँ प्रवाहित करना गलत नही है क्योंकि नदी में प्रवाहित मनुष्य की अस्थियां समय-समय पर अपना आकार बदलती रहती हैं जो कहीं ना कहीं उस नदी से जुड़े स्थान को उपजाऊ बनाती हैं. हमारे धर्मो में जो भी रीतियाँ बनाई गईं हैं वे केवल धार्मिक कर्मकांड नही ब्लकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी खरी उतरतीं है अपने आत्मीयजन की मुक्ति हेतु हरिद्वार जाना चाहिए। Post Views: 1,184 Post navigation पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय के तत्वाधान में पांच दिवसीय ‘अंगदान जनजागरूकता अभियान’ संचालित अज्ञात वाहन ने विश्राम कर रहे भोलों की कांवड़ को टक्कर मार किया खंडित,पुलिस की सूझबूझ से टला हादसा