हरिद्वार:संजीव मेहता। धर्मनगरी हरिद्वार में नील पर्वत पर मां चंडी देवी का मंदिर है तो दूसरी और शिवालिक पर्वत माला पर मां मनसा देवी का मंदिर स्थित है. इन दोनों मंदिरों के बीच हरिद्वार यानि मायानगरी की अधिष्ठात्री देवी माया देवी स्थापित हैं. यूं तो तीनो ही मंदिरों का पौराणिक महत्व है. लेकिन मां मनसा देवी का महात्म्य अधिक है. मां मनसा देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ वैसे तो पूरे साल रहती है. नवरात्रि में यह भीड़ और ज्यादा बढ़ जाती है और चैत्र नवरात्रि पर मनसा देवी मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. श्रद्धालु मंदिर में दर्शन कर सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं. मां मनसा देवी की पौराणिक कथा: पौराणिक मान्यता के अनुसार मां मनसा का जन्म भगवान शिव की मानस पुत्री के रूप में हुआ. कुछ पुरातन ग्रंथ कहते हैं कि मनसा माता कश्यप ऋषि की पुत्री थी. मनसा माता को नागों के राजा नागराज वासुकी की बहन के रूप में भी जाना जाता है. मनसा का शाब्दिक अर्थ है मनोकामना होता है. जो भी श्रद्धालु सच्चे श्रद्धा भाव से मां मनसा की पूजा अर्चना करते हैं, मां उनकी सब मनोकामना पूर्ण करती हैं. जो भक्त मां के मंदिर मुराद लेकर आते हैं वो मंदिर में स्थित पेड़ में धागा बांधते हैं और इच्छा पूर्ण होने पर धागा खोलने भी आते हैं. मां मनसा नागराज की बहन है इसलिए वह भक्तों की कालसर्प दोष से भी रक्षा करती हैं. मंदिर में भगवती की दो मूर्तियां स्थापित हैं. एक मूर्ति की 10 भुजाएं एवं पांच मुख और दूसरी मूर्ति की अट्ठारह भुजाएं हैं. मां के दरबार में नवरात्र में मेला लगा रहता है. दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. मंदिर में जो स्वयंभू प्रतिमा है वह महिषासुर मर्दिनी के रूप में है. श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज,अध्यक्ष, मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट ने कहा कि मनसा देवी का प्राचीन मंदिर है और जो भी मां मनसा की सच्चे मन से आराधना करता है. उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. भक्त अपनी कोई भी मनोकामना लेकर मंदिर में आता है वह यहां धागा बांधता है और उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो वह धागे को खोल देता है. Post Views: 1,331 Post navigation जीजा साले की नायब जोड़ी फिल्मी स्टाइल में की कार चोरी गुरकुल कांगडी मारपीट व गोलीबारी को लेकर पुलिस का खुलासा