हरिद्वार संजीव मेहता।नगर निगम के चर्चित भूमि घोटाले में उत्तराखंड की धामी सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए दो IAS और एक PCS अधिकारी समेत कुल 12 लोगों को निलंबित कर दिया है। इसमें हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, उपजिलाधिकारी अजयवीर सिंह, और तत्कालीन नगरायुक्त वरुण चौधरी जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।


👨‍⚖️ कौन-कौन सस्पेंड हुआ?

👤 अधिकारी का नाम 🏢 पद ⚠️ आरोप / भूमिका

कर्मेंद्र सिंह जिलाधिकारी, हरिद्वार भूमि क्रय व प्रशासनिक स्वीकृति में संदेहास्पद भूमिका
वरुण चौधरी पूर्व नगर आयुक्त बिना प्रक्रिया के भूमि क्रय प्रस्ताव पारित, वित्तीय अनियमितताएँ
अजयवीर सिंह SDM निरीक्षण व सत्यापन में लापरवाही, गलत रिपोर्ट भेजी
निकिता बिष्ट वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम संलिप्तता के आधार पर निलंबित
विक्की वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक संदिग्ध भूमिका
राजेश कुमार रजिस्ट्रार कानूनगो दोषी पाए गए
कमलदास मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील लापरवाही
रविंद्र कुमार दयाल सहायक नगर आयुक्त (प्रभारी) पहले ही निलंबित
आनंद सिंह मिश्रवाण प्रभारी अधिशासी अभियंता पहले ही निलंबित
लक्ष्मीकांत भट्ट कर एवं राजस्व अधीक्षक पहले ही निलंबित
दिनेश चंद्र कांडपाल अवर अभियंता पहले ही निलंबित
वेदवाल संपत्ति लिपिक सेवा विस्तार समाप्त, अनुशासनिक कार्रवाई शुरू


🕵️ जांच और आगे की कार्रवाई

शासन ने विजिलेंस जांच के आदेश दे दिए हैं।

संबंधित अधिकारियों को वर्तमान पद से हटाया गया है।

अनुशासनात्मक और दंडात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।


📣 सरकार का स्पष्ट संदेश

“यह केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं है, बल्कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की भ्रष्टाचार के खिलाफ शून्य सहनशीलता की नीति का प्रमाण है। चाहे पद कितना भी बड़ा हो, अगर नियमों की अनदेखी की गई है, तो कार्रवाई तय है।”


⚖️ उत्तराखंड में अब जवाबदेही पहले

इस ऐतिहासिक फैसले से एक स्पष्ट संदेश गया है कि:

अब ‘पद’ नहीं, ‘कर्तव्य’ और ‘जवाबदेही’ महत्वपूर्ण हैं।

भ्रष्टाचारियों की कोई जगह नहीं है।

यह फैसला अन्य अधिकारियों के लिए भी चेतावनी है — लापरवाही और मिलीभगत का युग समाप्त हो चुका है।


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