ऋषिकेश, संजीव मेहता।राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष (श्री महेंद्र भट्ट) पर विराजमान व्यक्ति द्वारा राज्य में विभिन्न मुद्दों पर सड़कों पर अपनी आवाज बुलंद कर रहे लोगों को और अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों, संभावित राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को चुनाव लड़ने की चुनौती देना और यह कहना कि उनकी औकात पता चल जाएगी! यह शब्द आपत्तिजनक ही नहीं है, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, यह अहंकार का प्रतीक है। “हे प्रभुता पाई काहि मद नाही” के कथानक को साकार करता हुआ बयान है।
मैं उम्मीद करता हूं कि सत्तारूढ़ पार्टी और उसके अध्यक्ष को इस बयान के खोखलेपन और इसके पीछे छुपे हुए दंभ का अनुमान होगा और वह इस बयान के लिए संघर्षरत समूहों, व्यक्तियों, राजनीतिक दलों, कर्मचारी संगठनों आदि सभी जो अपने-अपने मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए सड़कों पर उतरने वाले लोगों और संगठनों से क्षमा मांगेंगे।