नैनीताल, संजीव मेहता।हल्द्वानी बाल संप्रेक्षण गृह में रह रही 16 साल की किशोरी के एक झूठ ने मंत्री से लेकर संतरी तक सब घुमा दिए। घर जाने को नाबालिग लड़की ने रेप की झूठी कहानी रची थी। नाबालिग के आरापों के बाद विभाग के सचिव, निदेशक, मुख्य परिवीक्षण अधिकारी, उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी समेत डीएम, एसएसपी आरोपों की जांच में जुटे रहे।

महिला कल्याण चिभाग की टीमों ने जांच की। संप्रेक्षण गृह में कार्यरत अनुसेवक को निलंबित कर होमगार्ड को विभाग में लौटा दिया। आखिकार मामला झूठा निकला, संप्रेक्षण गृह की महिला कर्मचारी दीपा और गंगा निर्दोष निकले।

नाबालिग ने घर जाने को गढ़ी थी दुष्कर्म की झूठी कहानी हल्द्वानी बाल संप्रेक्षण गृह की किशोरी से दुष्कर्म के आरोप पुलिस की जांच में झूठे पाए गए हैं। एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने बताया कि किशोरी ने अपने घर जाने के लिए झूठी कहानी रची थी। पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगाकर केस बंद कर दिया है।

गुरुवार को पुलिस बहुद्देशीय भवन में आयोजित प्रेसवार्ता में एसएसपी ने बताया, मेडिकल रिपोर्ट में भी कोई ऐसी बात सामने नहीं आई है, जिसमें दुष्कर्म की पुष्टि हो। मामले की जांच और किशोरी से पूछताछ में पता चला कि वह बाल संप्रेक्षण गृह से घर जाना चाहती थी। जब उसे जाने नहीं दिया गया तो उसने झूठे आरोप लगा दिए।

मालूम हो बीते दिनों बाल संप्रेक्षण गृह की एक किशोरी ने दो अनुसेविकाओं पर एक मकान में ले जाकर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। मामले में पुलिस ने दोनों पर केस दर्ज किया था। कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने भी दो सदस्यीय समिति का गठन कर जांच कराई थी।

16 साल की किशोरी से सच उगलवाने में 12 दिन लगे

बाल संप्रेक्षण गृह में दो महिला कर्मचारियों पर आरोप लगाने वाली किशोरी से सच उगलवाने में पुलिस को 12 दिन लग गए। इस बीच तमाम टीमें भी जांच में जुटी रहीं। मालूम हो कि 15 दिसंबर को न्यायिक अधिकारी के निरीक्षण के दौरान बाल संप्रेक्षण गृह की एक किशोरी ने अपने साथ दुष्कर्म होने की शिकायत की थी।

मामला संज्ञान में आते ही तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए गए। उसी दिन देर रात कोतवाली पुलिस ने सीडब्ल्यूसी सदस्य रविंद्र रौतेला की तहरीर पर संप्रेक्षण गृह में कार्यरत दो महिला कर्मचारियों के खिलाफ पॉक्सो, दुष्कर्म और मारपीट समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की थी। किशोरी को लालडांठ स्थित एक बाल आश्रय गृह में शिफ्ट गया किया था।

तहसीलदार लालकुआं को सुरक्षा व्यवस्था में जिला प्रोबेशन अधिकारी, मनोचिकित्सक व विशेषज्ञ की मदद लेकर पीड़िता के मानसिक स्वास्थ्य को जांच रहे थे। इसके अलावा एक महिला पुलिस अधिकारी को सुरक्षा की व्यवस्था का जिम्मा दिया गया था।

तब से मामले की जांच चल रही थी। आखिकार बीते बुधवार को पुलिस इस बात का पता लगा सकी कि किशोरी ने झूठी कहानी रची थी। गुरुवार को एसएसपी ने प्रेसवार्ता कर मामले का खुलासा किया।

मंत्री की टीम दून से पहुंची थी हल्द्वानी

मामले में महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने विभागीय सचिव और निदेशक को जांच के आदेश दिए। सचिव ने जांच के लिए दून के मुख्य परिवीक्षा अधिकारी मोहत चौधरी, उपमुख्य परिवीक्षा अधिकारी अंजना गुप्ता की टीम गठित की। टीम ने हल्द्वानी में रहकर साक्ष्य जुटाए थे।