हरिद्वार,संजीव मेहता।कोल्हू से निकाले सरसों के तैल में एन्टी कैंसर कम्पाउण्ड को विश्व प्रसिद्ध रिसर्च जर्नल ‘फूड केमिस्ट्री’ ने भी माना पतंजलि के द्वारा विश्व में प्रथम बार कोल्हू से निकाले सरसों के तैल के ऊपर अनुसंधान किया गया, जिससे यह प्रमाणित हुआ कि सिर्फ परम्परागत लकड़ी के कोल्हू से निकाला हुआ सरसों का तैल कैंसर से बचाने के साथ-साथ कैंसर को ठीक करने में भी मदद करता है। यह हम नहीं कह रहे अपितु विश्व प्रसिद्ध रिसर्च जर्नल ‘फूड केमिस्ट्री (Food Chemistry)’ में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार कोल्हू से निकाले हुए सरसों के तैल में ऑउरेन्टियामाइड एसीटेट (Aurantiamide Acetate) नामक एन्टी कैंसर कम्पाउण्ड पाया जाता है।https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S0308814624005193https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/38430771/भारतवर्ष में पतंजलि ही वह नाम है जो अपनी पुरातन सनातन संस्कृति को आधुनिक विज्ञान सम्मत स्थापित करने के लिए कृत संकल्पित है।इस अनुसंधान को लेकर स्वामी रामदेव ने कहा कि यह अनुसंधान मात्र एक शोध न होकर हमारी गौरवशाली भारतीय परंपरा का एक प्रत्यक्ष परिणाम है कि किस प्रकार हमारी दिनचर्या में उपयोग होने वाले विभिन्न कार्यकलाप, हमें भिन्न प्रकार के रोगों से लड़ने में सहयोगी थे। यह शोध इस बात की भी पुष्टि करता है कि विज्ञान का वास्तविक अर्थ बड़ी-बड़ी मशीनें ही नहीं अपितु साधारण सी प्रतीत होने वाली तकनीकें हैं जो लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में एक बड़ी भूमिका निभाएगी।भारतीय सनातन परम्परा प्रकृति अनुकूल विकास व सहज सरल जीवनशैली की पोषक व उसकी संवाहक थी। यह बात हम ही नहीं कह रहे हैं अपितु विश्व प्रसिद्ध रिसर्च जर्नल भी प्रामाणित कर रहा है। सदियों पुरानी कोल्हू से तैल निकालने की परम्परा न केवल वैज्ञानिक है अपितु यह प्रकृति की रक्षा, कुटीर उद्योग के माध्यम से अधिसंख्यक लोगों को रोजगार व सड़कों पर दर-दर ठोकरें खाते हुए, विचरण करते हुए गोवंश आधारित उद्योग को पुनर्स्थापित किया जा सकेगा। Post Views: 1,097 Post navigation पतंजलि विश्वविद्यालय में दर्शन एवं संस्कृत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन Kolhu-extracted mustard seed oil contains an anti-cancer compound, a study published in well renowned research journal ‘Food Chemistry’