सहरानपुर, संजीव मेहता।यूपी के लोकसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन ने 80 में से 79 सीटों पर कब्जा किया है। इन दोनों गठबंधनों को हराकर नगीना लोकसभा सीट जिस शख्स ने जीती है, उसका नाम चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण है। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने अपनी राजनीतिक पार्टी आजाद समाज पार्टी बनाई और पहली बार चुनावी मैदान में उतरकर बाजी मार ली है। चंद्रशेखर ने नगीना सीट पर न सिर्फ समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी को हराया बल्कि मायावती की बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी की जमानत तक जब्त करा दी है। जबकि नगीना सीट पर पिछली बार बसपा ने ही कब्जा कर लिया था।

मंगलवार को मायावती ने अपनी पार्टी की हार की समीक्षा की तो उसमें नगीना और चंद्रशेखर पर भी बातें हुईं। कहा जा रहा है कि चंद्रशेखर को लेकर मायावती की चिंता अब बहुत बढ़ गई है। माना जा रहा है कि चंद्रशेखर युवा दलितों में आईकन की तरह उभरे हैं।

नगीना सीट पर चंद्रशेखर आजाद ने 5 लाख 12 हजार 552 वोट हासिल कर 3 लाख 61 हजार 79 वोट पाने वाले भाजपा के ओम कुमार को 1 लाख 51 हजार 473 वोटों से हरा दिया। यहां सपा प्रत्याशी मनोज कुमार को 1 लाख 2 हजार 374 वोट ही हासिल कर सके। सबसे खराब हालत बसपा की हो गई। बसपा प्रत्याशी सुरेंद्र पाल सिंह केवल 13 हजार 272 वोट हासिल कर सके। बसपा की ऐसी हालत यूपी में पिछले कुछ दो तीन दशक में किसी विधानसभा सीट पर भी शायद ही हुई हो।

चंद्रशेखर आजाद का अपने दम पर चुनाव जीतना यूपी में दलित राजनीति की नई शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। बसपा अभी तक दलित समाज के वोट बैंक पर अधिकार जताती रही है, लेकिन चंद्रशेखर की जीत ने यूपी में इस वोट बैंक को लेकर नई बहस छेड़ दी है।