देहरादून, संजीव मेहता । एक पिता पर उसकी ही दो बेटियों ने रेप का झूठा इल्जाम लगाया। जिसके बाद उसे पांच साल जेल में बिताने पड़े। आखिरकार अब उसे न्याय मिला और कोर्ट ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया। यह मामला है देहरादून का। जहां रहने वाले पिता ने जब अपनी बेटी के स्कूल बंक करने और एक लड़के से दोस्ती का विरोध किया तो उसने बॉयफ्रेंड के उकसावे में आकर अपनी ही पिता पर झूठा केस फाइल कर दिया। सबूतों की पड़ताल और गवाहों के बयान सुनने के बाद एडिशनल जिला जज ने 42 साल के शख्स को पॉक्सो केस से रिहा कर दिया।

अदालत ने पाया कि लड़की के प्रेमी ने उसे उसके पिता को रेप का अदालत ने पाया कि लड़की के प्रेमी ने उसे उसके पिता को रेप का एक मनगढ़ंत मामला दर्ज करने के लिए उकसाया था। अदालत में पीड़िताओं के बयानों में विरोधाभास पाया गया। यही नहीं बचाव पक्ष यह साबित करने में सफल हो गया कि पीड़िताओं ने पिता पर ये आरोप अपने दोस्तों के कहने पर लगाए थे। विशेष न्यायाधीश पोक्सो अर्चना सागर की कोर्ट ने तत्काल आरोपी पिता को जेल से रिहा करने के आदेश दिए हैं।

मामला बसंत विहार थाने में 25 दिसंबर 2019 को बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष की जांच रिपोर्ट के आधार पर दर्ज किया गया था। उस वक्त दोनों बहनें नारी निकेतन केदारपुरम में रह रही थीं। जांच रिपोर्ट के अनुसार बड़ी बहन की उम्र घटना के वक्त 15-16 वर्ष थी। उसने बाल कल्याण समिति को बताया था कि उसके पिता ने 29 अक्तूबर 2019 को उससे दुष्कर्म किया था। यह बात उसने अपनी दादी और बुआ को बताई तो उन्होंने पिता को डांट भी लगाई थी। जबकि, छोटी बहन ने भी समिति को बताया था कि पिता ने उसके साथ भी गलत हरकत की है। इस आधार पर पुलिस ने कार्रवाई की और पीड़िताओं के पिता को गिरफ्तार कर लिया। मुकदमे में 17 फरवरी 2020 को चार्जशीट दाखिल कर दी गई। लेकिन, मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई थी। अभियोजन की ओर से कुल आठ गवाह पेश किए गए। अदालत में जब बड़ी बहन के बयान हुए। तो उसने घटना 29 अक्तूबर के बजाए 29 मार्च 2019 की बताई। इससे भी विरोधाभास पैदा हुआ।