ऋषिकेश, संजीव, मेहता। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री प्रशासन अकादमी (लबासना) में 99वें फाउंडेशन कोर्स के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य शामिल हुए। इस दौरानउन्होंने कहा कि अधिकारियों का काम सरकार को रियेक्टिव (प्रतिक्रियाशील) नहीं बल्कि एक्टिव (सक्रिय) बनाना है। ताकि, विकास को देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया जा सके। उन्होंने युवा अधिकारियों को भविष्य में बेहतर काम करने के गुर भी बताए। उन्होंने कहा कि प्रगति वही कर सकता है जिसके अंदर अंतिम सांस तक छात्र बने रहने की भावना जिंदा रहती है।

उन्होंने लबासना के मंच पर देश को नक्सलवाद से मुक्त करने के लक्ष्य को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त कर दिया जाएगा। कहा कि आज यहां एक विकसित और आत्मनिर्भर भात का निर्माण करने वाले शिल्पियों का समूह उपस्थित है। यह समूह अभ्यास, कर्मठता और ऊर्जा से लबरेज है। हमें मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जिसमें सभी देशवासी आत्मसम्मान और सभी सुविधाओं के साथ अपनी अगली पीढ़ी का नेतृत्व करें। भारत को हर क्षेत्र में प्रथम बनाने से विकसित भारत का सपना साकार नहीं होगा। बल्कि इसके लिए 140 करोड़ लोगों को पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ना होगा।

शाह ने कहा कि चिंता की जगह चिंतन और व्यथा की जगह व्यवस्था से किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। चिंता हमारी सोचने की क्षमता को कम करती है। ऐसे में योग और ध्यान को जीवन का नित्यक्रम बनाना चाहिए। समस्या के समाधान के लिए रोड मैप बनाना, माइक्रो प्लानिंग करना और उसे लागू करना और निरंतर फॉलोअप बेहद जरूरी है। महिलाओं की भागीदारी पर उन्होंने कहा कि आज उपस्थित चयनित सिविल सेवा अधिकारियों में 38 प्रतिशत महिलाएं हैं। जब तक देश की 50 प्रतिशत जनसंख्या नीति निर्धारण संबंधी निर्णयों में शामिल नहीं होगी तब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वुमेन लेड डवलपमेंट का सपना पूरा नहीं होगा।