हरिद्वार 29 नवम्बर।संजीव मेहता। पतंजलि विश्वविद्यालय का उद्देश्य विद्यार्थियों में ज्ञानवर्द्धन के अतिरिक्त उन्हें मनो-शारीरिक स्वास्थ्य प्रदान कर व्यक्तित्व का समग्र विकास एवं आत्मोन्नति हेतु प्रेरित करना है। इस क्रम में जर्मन एसोसिएशन ऑफ होमा थेरेपी के अध्यक्ष एलरिक बर्क का संबोधन वि.वि. के शोधार्थियों एवं परा-स्नातकों के लिए ‘‘मानसिक स्वास्थ्य हेतु अग्निहोत्र एवं होमा थेरेपी’’ विषय पर हुआ। डॉ. बर्क होमा थेरेपी का जर्मनी सहित विभिन्न देशों में प्रचार-प्रसार कर रहे हैं तथा सामान्य लोगों को इसके मनो-शारीरिक प्रभावों से अवगत करा रहे हैं।

होमा थेरेपी भारतीय यज्ञ विधा का ही एक संक्षिप्त रूप है जो चिकित्सा के उदे्दश्य से प्रयुक्त हो रहा है। भारतीय आर्ष ग्रन्थ में भी यज्ञ की प्रक्रियाएँं, लाभ आदि की चर्चा है, यही कारण है कि शुभ कार्यों का प्रारम्भ यज्ञ से किया जाता है।
डॉ. बर्क ने अग्निहोत्र एवं होमा थेरेपी का मानसिक स्वास्थ्य के विभिन्न पक्षों पर पड़ने वाले प्रभावों की वैज्ञानिक व्याख्या संदर्भों के साथ प्रस्तुत की। प्राण एवं मन के सह-सम्बन्धों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि नियमित यज्ञ से व्यक्ति में एकाकीपन का भाव कम होता है, विभिन्न प्रकार की संज्ञानात्मक क्षमताओं का विकास होता है। उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों को होमा थेरेपी का प्रायोगिक पक्ष भी बताया तथा उनके प्रश्नों के सार्थक समाधान भी दिए।

व्याख्यान कार्यक्रम के संयोजक एवं विश्वविद्यालय के शोध संकायाध्यक्ष- डॉ. मनोज कुमार पटैरिया ने डॉ. बर्क का स्वागत-परिचय कराया तथा यज्ञ के लाभ की चर्चा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो0 महावीर अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा कि यज्ञ हमें दान एवं संगतिकरण का भाव सिखाता है।
भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के मुख्य केन्द्रीय प्रभारी स्वामी परमार्थदेव ने यज्ञ के क्षेत्र में पतंजलि विश्वविद्यालय में हो रहे कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यशाला में डॉ. निधीश यादव, डॉ. एल.एस. रथ, डॉ. रुद्र भण्डारी, श्री गिरिजेश मिश्र सहित विश्वविद्यालय के आचार्य एवं शोधार्थी उपस्थित
रहे।