हरिद्वार/रूड़की:संजीव मेहता । बहती हुई गंगा नदी मुक्ति देती है तो वहीं ठहरी गंगा धन और वैभव। दरअसल, दशहरे की रात गंग नहर की वार्षिक बंदी हुई तो हजारों लोग नहर में पैसा सोना, चांदी आदि खोजने में जुट गए। श्रद्धालुओं के द्वारा गंगा को समर्पित जेवर व रुपये पैसे इत्यादि गंग नहर में मिलते हैं।

गंग नहर की बंदी के दौरान देखा जाए तो एक तरह से यहां के श्रमिक वर्ग पत्थर और रेत को छान लेते हैं। दशहरे की मध्य रात्रि गंगनहर को मरम्मत कार्यों के चलते बंद कर दिया गया। हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड के जलविहीन होने से गंगा स्नान को आए श्रद्धालुओं में मायूसी झलकी।

हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड और अन्य गंगा घाटों पर सिक्के और अन्य धातु के सामान आदि चुगने वालों की भीड़ लगी है। सिंचाई विभाग ने रात 12 बजे के बजाय 10 बजे से पहले ही यहां बंद कर दिया। जबकि सिंचाई विभाग के आदेश के अनुसार रात को 12 बजे पानी बंद किया जाना था। वहीं दूसरी तरफ गंगा के बंद होते ही खजाना ढूंढने वाले हजारों लोग गंगा में उतर गए।