हरिद्वार, संजीव मेहता।उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव 2024 के मतदान के लिए अब महज 2 दिन शेष हैं. उत्तराखंड में 5 लोकसभा सीटें हैं. जिसमें हरिद्वार लोकसभा सीट भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए काफी अहम मानी जा रही है. भाजपा ने हरिद्वार सीट पर सीटिंग एमपी रमेश पोखरियाल निशंक को टिकट न देकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनावी मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत को प्रत्याशी बनाया है. इन दोनों के अलावा सीट पर खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने ताल ठोककर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. ऐसे में तीनों दिग्गज प्रत्याशियों के बीच मुकाबला क्षेत्रीय विकास, रोजगार, शिक्षा और किसानों के ईर्द-गिर्द ही बना हुआ है.उत्तराखंड का हरिद्वार जिला प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है. जिले में 11 विधानसभाएं आती हैं. हरिद्वार को चारधाम यात्रा और कांवड़ यात्रा का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो 11 विधानसभा के अलावा देहरादून की तीन विधानसभा (ऋषिकेश, डोईवाला और धर्मपुर) भी आती है. ऐसे में यहां के कुछ प्रमुख मुद्दे अभी भी वोटरों के लिए बड़ी परेशानी बने हुए हैं. क्या लोकसभा चुनाव का पहला चरण समाप्त होते होते,मोदी बनाम विपक्ष पर तानाशाही मुख्य मुद्दा बन गया है.? हरिद्वार लोकसभा सीट के प्रमुख मुद्दे:हरिद्वार स्थित सिडकुल में स्थानीय युवाओं को नियुक्ति न मिलना.हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्र में गन्ने का मूल्य और बाढ़ से होने वाले सालाना नुकसान की भरपाई.हरिद्वार लोकसभा सीट पर मुस्लिम वोटरों की संख्या भी काफी है. लिहाजा, मुस्लिम वोटर अक्सर चुनाव में निर्णायक की भूमिका निभाता है. इसके अलावा सीट पर दलित वोटर भी काफी हैं. भाजपा और कांग्रेस के साथ ही निर्दलीय उम्मीदवार भी दलित वोटरों को रिझाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं..कई क्षेत्रों में बसपा के भी काफी वोट है लेकिन सभी को पता है कि बसपा वोट कटवा साबित हो रही है ,ऐसे में भाजपा उम्मीदवार व यही प्रचार कर रहे है कि बसपा वोट काटेगी तो वह नुकसान कांग्रेस को होगा। लगभग 25 फीसदी मुस्लिम मतदाता की भी हार-जीत में खासी भूमिका देखी जाती है। पिरान कलियर, भगवानपुर, मंगलौर और ज्वालापुर क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता अधिक संख्या में है।यही वह कारण है जिससे भाजपा चिंतत है।हरिद्वार के नुकड़ चौराहों पर लोग यह कहते हुए भी सुने जाते है कि हरिद्वार की कई विधानसभा के भाजपा नेता खुल कर त्रविंद्र रावत के साथ नही चल रहे यह वह नेता हैं जिनकी रावत के मुख्यमंत्री कार्याकाल में सुनवाई नही होती रही । उधर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरने से मामला रोचक हो चुका है। इस सीट पर संत और पहाड़ी समाज के साथ ही ब्राह्मण-पुरोहित, अनुसूचित जाति, पाल, तेली, झोझा, बंजारा, पंजाबी-सिख, सिंधी, वैश्य, साधु समाज, सैनी, जाट, गुर्जर, कुम्हार, त्यागी जातियों का गुलदस्ता है। मुस्लिम फैक्टर भी खासा प्रभावी है। भाजपा के पक्ष में क्या फैक्टर:संतो का समर्थन,समान नागरिक संहिता लागू,धामी सरकार का जनहितैषी विजन,नकल विरोधी कानून, धर्मांतरण कानून, लैंड जिहाद व भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई करना शामिल है।बसपा का चुनाव लड़ना माना जा रहा है। कांग्रेस की जीत का मंत्र:हरिद्वार यानी की हरि के द्वार में स्थानीय बनाम बाहरी,हरीश रावत का जनता से सीधा संवाद,महागठबंधन के कैडर वोट का साथ होना समाज के सभी वर्गों में चिकित्सक के रूप में पहचान जाति-बिरादरी के लोगों के चुनाव में सक्रिय होना,समाजवादी पार्टी व अग्निवीर को जोर से उछालना। Post Views: 2,248 Post navigation “छत्रपति शिवाजी महाराज कथा’’का आठवां दिन,देश को आजादी तो मिल गई किंतु शिक्षा, चिकित्सा, आर्थिक और सांस्कृतिक वैचारिक आजादी मिलना अभी शेष : स्वामी रामदेव रामनवमी पर्व तथा पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज के 30वें संन्यास दिवस के पावन अवसर पर “छत्रपति शिवाजी महाराज कथा’’ का समापन