नई दिल्ली एजेंसी। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सियासी दलों के बीच यह सवाल लगातार चर्चा का विषय बना रहा कि राहुल गांधी रायबरेली सीट अपने पास रखेंगे या वायनाड। इस सवाल का जवाब चाहने वालों की सूची में न केवल कांग्रेस व उसके सहयोगी दल शामिल थे, बल्कि सत्ता पक्ष की नजरें भी लगी थीं। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सोमवार शाम को इस सवाल का जवाब देते हुए एक तीर से कई निशाने साध दिए। पहला, राहुल गांधी रायबरेली लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते रहेंगे। ऐसा कर राहुल ने रायबरेली में अपनी ‘मां’ सोनिया गांधी की जुबान रखी। चुनाव के दौरान सोनिया ने रायबरेली के वोटरों से कहा था, ‘आज मैं अपना बेटा आपको सौंप रही हूं’।

अब राहुल ने रायबरेली सीट अपने पास रखकर अपनी मां की उस बात को झूठा नहीं होने दिया। दूसरा, कांग्रेस पार्टी ने ‘वायनाड’ सीट पर प्रियंका को भेजकर यह साबित कर दिया कि गांधी परिवार ‘वायनाड’ के लोगों का भरोसा नहीं टूटने देंगे। वहां के लोगों के साथ गांधी परिवार का भावनात्मक रिश्ता बना रहेगा। वजह, 2019 के मुश्किल समय में जब राहुल गांधी, अमेठी से चुनाव हार गए थे, तब वायनाड के लोगों ने उन्हें बड़ी जीत देकर सियासत में मजबूती प्रदान की थी।

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राहुल गांधी को 14 दिन के भीतर यह तय करना था कि वे रायबरेली सीट अपने पास रखें या वायनाड का प्रतिनिधित्व करते रहें। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तय समय सीमा से एक दिन पहले ही यह घोषणा कर दी कि राहुल गांधी, वायनाड सीट छोड़ेंगे। वे रायबरेली सीट अपने पास रखेंगे। वायनाड सीट से प्रियंका गांधी को उतारा जाएगा। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, रायबरेली से गांधी परिवार का पुराना रिश्ता रहा है। वहां के लोगों का गांधी परिवार के प्रति विशेष लगाव, स्नेह और अटूट भरोसा रहा है। कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, ये पहले से ही तय था। न केवल पार्टी नेतृत्व, बल्कि कांग्रेस कार्यकर्ता भी यही चाहते थे कि राहुल गांधी, रायबरेली सीट को अपने पास रखें। कांग्रेस पार्टी ने वायनाड से प्रियंका को उतारने की बात कह कर वहां के लोगों का भरोसा बनाए रखा है। गांधी परिवार, दोनों जगहों पर लोगों की सेवा करेगा।

वायनाड से प्रियंका की उम्मीदवारी पर मुहर लगने के बाद राहुल ने कहा, अब ‘वायनाड’ और ‘रायबरेली’ को दो-दो सांसद मिलने जा रहे हैं। राहुल गांधी के निर्णय से यूपी सहित उत्तर भारत में कांग्रेस को मजबूती से खड़ा करने में मदद मिलेगी। खरगे ने कहा, हम सबने बैठक में यह तय कर लिया है कि राहुल गांधी, रायबरेली सीट अपने पास रखेंगे। रायबरेली पहले से भी उनके काफी नजदीक रही है। उस परिवार के साथ जुड़ाव है। गांधी परिवार, पीढ़ियों से यहां से लड़ता आया है। वायनाड के लोगों का प्यार भी राहुल को मिला है। वे लोग चाहते हैं कि राहुल वायनाड में ही रहें, लेकिन कानून इसकी इजाजत नहीं देता। इसलिए वायनाड सीट से प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव लड़ेंगी।

प्रियंका ने कहा, मैं इस फैसले से बहुत खुश हूं। वायनाड का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए गर्व की बात होगी। मैं एक अच्छा प्रतिनिधि बनने की कोशिश करुंगी। रायबरेली से मेरा पुराना रिश्ता है और मैंने रायबरेली और अमेठी के लिए काफी काम किया है। मैं भैया की मदद रायबरेली में भी करुंगी। हम दोनों वायनाड और रायबरेली में एक-दूसरे की मदद भी करेंगे। राहुल के वायनाड सीट छोड़ने और वहां से प्रियंका को उतारने की बात पर भाजपा की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई है। भाजपा ने इसे परिवारवाद का नाम दिया है।