देहरादून:संजीव मेहता अवैध खनन का मामला लोकसभा में गूंजा तो उत्तराखंड में भी इसको लेकर राजनीति सातवें आसमान पर पहुंच गया है. हालांकि खनन पर कलेश राज्य की राजनीति का हिस्सा रहा है. लेकिन अक्सर पर्यावरण प्रेमी भी इसके पर्यावरणीय प्रभावों को लेकर चिंता जाहिर करते रहे हैं.फिलहाल ऐसी ही कुछ चिंताओं को लेकर उत्तराखंड खनन विभाग ने भी पांच सदस्य कमेटी का गठन कर राज्य में खनन के पर्यावरणीय प्रभावों को जानने की कोशिश की है. वैसे खनन विभाग खुद से पर्यावरण को लेकर इतना सजग नहीं हुआ है, बल्कि एनजीटी (National green tribunal) के निर्देशों के क्रम में यह कदम उठाया गया है.

खनन पर 5 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति कर रही अध्ययन: उत्तराखंड खनन विभाग ने पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जो राज्य में खनन के भूगर्भीय प्रभावों का अध्ययन कर रही है. खनन विभाग ने इस कमेटी को “Geo-tectonic Zones” के पारिस्थितिकी और “seismic stability” पर पड़ने वाले असर का अध्ययन करने के लिए बनाया है. इस समिति में अध्यक्ष के तौर पर वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक को रखा है. इसके अलावा भारतीय सर्वेक्षण विभाग के भूकंप विज्ञानी, आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञ, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान के वरिष्ठ विशेषज्ञ वैज्ञानिक को सदस्य बनाया गया है. जबकि भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के संयुक्त निदेशक को भी इसका सदस्य सचिव बनाया गया है.

खनन के लिए क्षेत्र चिन्हित: उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में कुल 6569 हेक्टेयर क्षेत्र को नदी तल खनन के लिए चिन्हित किया गया है. इसमें से 5796 हेक्टेयर क्षेत्र चार मैदानी जिलों जिसमें देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधम सिंह नगर शामिल में आता है. इसमें 5077 हेक्टेयर क्षेत्र उत्तराखंड वन विकास निगम को आवंटित किया गया है, जबकि बाकी 719 हेक्टेयर क्षेत्र निजी व्यक्तियों, कंपनियों को आवंटित किया गया है. विशेषज्ञ समिति ने यह स्पष्ट किया है कि हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिले में 3 मीटर तक मैन्युअल तरीकों से नदी का खनन करने की गतिविधि के चलते भूकंपीय स्थिरता के लिए कोई खतरा नहीं है. इसके अलावा बाकी पर्वतीय जिलों में भी विशेषज्ञ समिति ने मानकों के अनुसार नदी पर खनन के कारण भूकंपीय स्थिरता को खतरा नहीं माना है.

खनन पर रोक लगाने की तैयारी: हालांकि बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जिले में मूल चट्टानों पर पाए जाने वाले सोपस्टोन, मैग्नेसाइट और सिलिका सैंड खनिजों को लेकर अभी अनुमति देने के पक्ष में विशेषज्ञ समिति नहीं है और इस पर अभी अध्ययन का काम जारी है. उधर बागेश्वर में 160 माइनिंग यूनिट्स के लाइसेंस सस्पेंड करने के बाद अब जल्द ही बाकी जिलों में भी इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने की तैयारी हो रही है.