हरिद्वार, 20 जून 2025:संजीव मेहता।
चंडी देवी क्षेत्र से होकर बहने वाली चंडी नदी, जो पहले पुल के पार गंगा नदी की ओर जाती थी, अब अपने मार्ग से भटक कर हरिद्वार की ओर बहने लगी है। दो तीन साल से यह अप्रत्याशित बदलाव न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि प्रशासन के लिए भी चिंता का विषय बन गया है।

अब यह नदी पुल के दोनों किनारों के पास बहनें लगी है खासकर हरिद्वार वाले हिस्से से होकर गुजर रही है, जिससे घाटों और आसपास के इलाकों में कटाव की आशंका बढ़ गई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि नदी के प्रवाह में यह बदलाव भू-आकृतिक कारणों, रेत-जमाव और जल प्रवाह के अवरोधों की वजह से हुआ हो सकता है। यदि समय रहते इसका समाधान नहीं निकाला गया, तो यह धार्मिक और पर्यावरणीय दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है।

समाधान की राह में बाधा बने ‘प्रहरी’:
जब भी प्रशासन नदी के बहाव को नियंत्रित करने या डायवर्जन की योजना पर काम करने की कोशिश करता है, तब कुछ स्वयंभू गंगा प्रहारी विरोध में उतर आते हैं। ये लोग धार्मिक भावनाओं का हवाला देकर किसी भी प्रकार के तकनीकी हस्तक्षेप का विरोध करते हैं। परिणामस्वरूप समस्या जस की तस बनी रहती है और स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है।

प्रशासन की तैयारी:
प्रशासन का कहना है कि वे स्थिति पर निगरानी बनाए हुए हैं और सभी हितधारकों से संवाद स्थापित कर समाधान की दिशा में काम किया जा रहा है। एक दीर्घकालिक योजना के तहत नदी के प्रवाह को पुनः व्यवस्थित करने के लिए तकनीकी अध्ययन और जनसंवाद की प्रक्रिया चल रही है