नैनीताल, sanjiv Mehta
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने स्टोन क्रशर को लेकर बड़ा फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को 6 सप्ताह में स्टोन क्रशर जोन चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही तब तक राज्य में नए स्टोन क्रशर लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दी गई है।

यह आदेश फतेहपुर टांडा जीवनवाला (देहरादून) में संचालित बालाजी स्टोन क्रशर के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान आया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि स्टोन क्रशर से उठने वाली धूल के कारण क्षेत्र की खेती-बाड़ी पर बुरा असर पड़ रहा है। साथ ही, यह क्रशर राजाजी नेशनल पार्क से सिर्फ 3.5 किमी की दूरी पर है, जबकि नियम अनुसार कम से कम 10 किमी का फासला जरूरी है।

👉 कोर्ट की बेंच — न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आशीष नैथानी — ने पाया कि ग्रामीण इलाकों में स्टोन क्रशर को लेकर पहले दिए गए निर्देशों का सरकार द्वारा सही तरह से पालन नहीं हो रहा।

🔍 याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में पूर्व के आदेशों का हवाला दिया, जिसके आधार पर कोर्ट ने सचिव, खनन विभाग को पूरे राज्य में स्टोन क्रशर के लिए उपयुक्त ज़ोन चिन्हित करने की अंतिम समयसीमा छह सप्ताह तय की।

🛑 जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, किसी भी नए स्टोन क्रशर को लाइसेंस नहीं मिलेगा।


🗣️ यह फैसला पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण जनजीवन को प्राथमिकता देने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
📍 अब नजरें सरकार की कार्रवाई और स्टोन क्रशर उद्योग पर पड़ने वाले प्रभाव पर टिकी होंगी।