हरिद्वार, 1 अगस्त 2025। संजीव मेहता।
पतंजलि विश्वविद्यालय दो दिनों से ज्ञान, परंपरा और चिकित्सा नवाचार का केंद्र बना रहा। 31 जुलाई और 1 अगस्त को आयोजित तृतीय राष्ट्रीय स्वर्णशलाका प्रतियोगिता में देशभर से आए संस्कृत विद्वानों और विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।

स्वर्णशलाका प्रतियोगिता के नतीजे

समापन समारोह में योगऋषि स्वामी रामदेव और कुलपति आचार्य बालकृष्ण की मौजूदगी रही।

प्रथम पुरस्कार: पतंजलि गुरुकुलम् (बालक वर्ग)

द्वितीय पुरस्कार: पतंजलि विश्वविद्यालय

तृतीय पुरस्कार: पतंजलि गुरुकुलम् (बालिका वर्ग)

प्रतिभागियों को लाखों रुपये की धनराशि और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। निर्णायक मंडल ने उनकी तर्कशक्ति और विद्वता की सराहना की।


अब चिकित्सा पर होगा वैश्विक मंथन

पतंजलि विश्वविद्यालय अब अगले चरण की ओर बढ़ रहा है। 2 और 3 अगस्त 2025 को यहाँ ‘अनामयम्: इंटीग्रेटेड मेडिसिन–साइंस एंड प्रैक्टिसेज’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित होगा।

इस सम्मेलन में देश-विदेश के चिकित्सा विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, नीति-निर्माता और शोधार्थी शामिल होंगे।
फोकस रहेगा—

पारंपरिक चिकित्सा (आयुर्वेद, योग, यूनानी, होम्योपैथी, सिद्ध आदि) और आधुनिक विज्ञान का समन्वय

एआई आधारित हेल्थ टेक्नोलॉजी

मानसिक स्वास्थ्य

सस्टेनेबल हेल्थकेयर मॉडल्स

ग्लोबल हेल्थ पॉलिसीज

इको-टूरिज्म और वेलनेस लाइफस्टाइल


क्यों खास है ‘अनामयम्’?

आयोजन समिति के अनुसार, यह सम्मेलन केवल पारंपरिक चिकित्सा की आधुनिक संदर्भ में व्याख्या ही नहीं करेगा, बल्कि भविष्य के लिए एक एकीकृत स्वास्थ्य मॉडल भी प्रस्तुत करेगा।