हरिद्वार। संजीव मेहता।। अप्पर आयुक्त के निर्देशों एवं हाल के मामलों के मद्देनज़र औषधि नियंत्रण विभाग, उत्तराखंड ने खाँसी की दवाओं (cough syrups) पर निगरानी और अधिक कड़ी कर दी है। विभाग की सख्त कार्रवाई के तहत लगातार दवाओं के नमूने लिए जा रहे हैं और उन्हें गुणवत्ता परीक्षण हेतु प्रयोगशालाओं में भेजा जा रहा है। सख्त निगरानी और निरीक्षण:राज्य औषधि निरीक्षकों एवं CDSCO की टीम द्वारा विभिन्न दवा निर्माण इकाइयों पर risk-based inspections किए जा रहे हैं, ताकि कोई भी संदूषित या मानक से बाहर दवा बाज़ार तक न पहुँच सके। अब तक की कार्रवाई में 16 नमूने CMSD स्टोर्स, निजी शिशु अस्पतालों और क्लीनिकों से तथा *6 नमूने कंपनियों से लिए गए हैं। निर्माताओं के लिए कड़े निर्देश:औषधि नियंत्रण विभाग ने सभी दवा कंपनियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि- केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित प्रतिबंधित दवाओं का निर्माण व बिक्री पूर्णतः बंद किया जाए। खाँसी की दवाओं में प्रयुक्त प्रोपीलीन ग्लाइकोल, ग्लिसरीन, सोर्बिटोल आदि केवल फार्मा-ग्रेड गुणवत्ता मानकों के अनुरूप ही उपयोग किए जाएँ। खाँसी की दवाओं का निर्माण केवल तभी किया जाएगा जब इकाई के पास Gas Chromatography (GC) मशीन उपलब्ध हो, ताकि DEG और EG जैसी हानिकारक मिलावट की जाँच की जा सके। औषधि नियंत्रक, उत्तराखंड ने कहा कि विभाग का उद्देश्य राज्य में केवल सुरक्षित और मानक गुणवत्ता वाली दवाएँ उपलब्ध कराना है। किसी भी प्रकार का उल्लंघन पाए जाने पर Drugs & Cosmetics Act, 1940 के अंतर्गत कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। Post Views: 7 Post navigation 🌕 शरद पूर्णिमा पर जगद्गुरु आश्रम में महाकवि कुँवर चन्द्रप्रकाश सिंह पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन अभिभावकों के लिए चेतावनी, पुराने कफ सिरप से बच्चों की सेहत पर हो सकता है खतरा, एफडीए ने अभिभावकों को किया सतर्क