✍️ पहाड़ की सैर संपादक संजीव मेहता के साथ

उत्तरकाशी। संजीव मेहता। हिमालय की गोद में बसा यह प्राचीन नगर न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ के धार्मिक स्थलों की आभा भी अद्भुत है। गंगा तट पर बसे इस पवित्र नगर में भगवान शिव के विश्वनाथ मंदिर के ठीक सामने स्थित है — शक्ति मंदिर, जिसे स्थानीय लोग माँ दुर्गा का निवास मानते हैं। यह मंदिर अपनी आस्था, रहस्य और इतिहास के लिए उत्तरकाशी के प्रमुख धार्मिक स्थलों में गिना जाता है।कहा जाता है कि जो सच्चे मन से दर्शन करता है उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है।


🕉️ माँ दुर्गा की अद्भुत त्रिशूल

शक्ति मंदिर की सबसे बड़ी पहचान है यहाँ स्थापित विशाल त्रिशूल (Trishul), जो मंदिर के ठीक सामने खड़ा है। कहा जाता है कि यह त्रिशूल महाभारत कालीन है और इसे स्वयं देवी दुर्गा ने असुरों के वध के समय उपयोग किया था।

त्रिशूल के बारे में एक रोचक तथ्य यह है कि इसका निचला भाग लोहे का और ऊपरी भाग तांबे का है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह आश्चर्यजनक है कि सदियों से खुले वातावरण में रहने के बावजूद इस धातु पर जंग नहीं लगी। स्थानीय श्रद्धालु मानते हैं कि यह त्रिशूल दैवीय शक्ति से संरक्षित है।


🕍 विश्वनाथ मंदिर के सामने स्थित अनोखा संगम

शक्ति मंदिर, उत्तरकाशी के मुख्य बाजार में स्थित विश्वनाथ मंदिर के ठीक सामने है। यह अनोखा संगम शक्ति और शिव के मिलन का प्रतीक है — मानो भगवान शिव और देवी शक्ति दोनों अपने भक्तों को एक साथ आशीर्वाद दे रहे हों।

यह धार्मिक परंपरा का भी प्रतीक है कि किसी भी तीर्थयात्री को विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के बाद शक्ति मंदिर में दर्शन करना अनिवार्य माना गया है। तभी यात्रा पूर्ण मानी जाती है।


🙏 कथाओं और आस्था का केंद्र

लोककथाओं के अनुसार, माँ दुर्गा ने यहाँ महिषासुर का वध करने से पहले तपस्या की थी। यह स्थान “शक्ति स्थल” के नाम से विख्यात हुआ। स्थानीय लोग कहते हैं कि माँ की कृपा से यह नगर सदैव आपदाओं से सुरक्षित रहा है।

नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष पूजा-अर्चना और जागरण का आयोजन होता है। दूर-दूर से भक्त माँ के दर्शन के लिए आते हैं और शक्ति मंदिर परिसर “जय माता दी” के जयकारों से गूंज उठता है।


🌄 आध्यात्मिकता और शांति का संगम

मंदिर परिसर में वातावरण हमेशा शांत और दिव्य रहता है। भक्त जब माँ के चरणों में सिर झुकाते हैं, तो उनके मन से भय, चिंता और नकारात्मकता स्वतः दूर हो जाती है। यह मंदिर सिर्फ पूजा का स्थान नहीं, बल्कि आत्मिक शक्ति और आत्मविश्वास का स्रोत भी है।


🚩 कैसे पहुँचे

शक्ति मंदिर उत्तरकाशी के मुख्य बाज़ार में, विश्वनाथ मंदिर के ठीक सामने स्थित है।

ऋषिकेश से उत्तरकाशी की दूरी लगभग 150 किलोमीटर है, जो सड़क मार्ग से जुड़ी है।

यहाँ सालभर श्रद्धालु आते हैं, लेकिन नवरात्रि और सावन माह में विशेष भीड़ रहती है।


✨ निष्कर्ष

उत्तरकाशी का शक्ति मंदिर न केवल देवी दुर्गा की शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह श्रद्धा, विश्वास और आध्यात्मिक ऊर्जा का जीवंत उदाहरण भी है।
जो भी भक्त यहाँ माँ के दर्शन करता है, वह अपने भीतर एक नई शक्ति और सकारात्मकता का अनुभव करता है।