रुड़की,हरिद्वार, संजीव मेहता,इमरान देशभक्त। प्रसिद्ध शायर मुनव्वर राना का विगत दिवस लखनऊ में निधन साहित्यिक जगत में शोक की लहर है।अपनी शायरी के नए अंदाज के कारण वो विश्वभर में जाने पहचाने जाते थे।रुड़की के साहित्य प्रेमियों ने उनके निधन से शोक व्यक्त किया है।रुड़की में मुनव्वर राना पहली बार 12 मार्च 2006 को शायर अफजल मंगलौरी के सम्मान में आयोजित “जश्ने अफजल” आल इंडिया मुशायरे में नेहरू स्टेडियम में आये थे।राणा का पहली बार रुड़की आना भी किसी चमत्कार से कम नहीं था। “जश्ने अफ़ज़ल मंगलौरी” के मुख्य संयोजक रहे पार्षद रविन्द्र खन्ना बेबी बताते है कि मुनव्वर राना का सन् 90 और 2000 के दशक में किसी फिल्मी हस्ती से कम जलवा नहीं था,लोग उनके कलाम के पूरे देश में दीवाने थे।उनको बुलाने के लिए एक साल पहले तक कि तारीख लेनी पड़ती थी।यही नहीं तारीख लेने के बाद भी उनका किसी मुशायरे आना पक्का नहीं रहता था,क्योंकि अपने मिजाज के खिलाफ जरा सी बात होने पर वो वापस लौट जाते थे।जश्ने अफजल मंगलौरी के सह-संयोजक रहे लंढोरा के निवर्तमान चेयरमैन शहजाद खान बताते है कि मुनव्वर राणा को रुड़की और आस पास के इलाकों में अनेक बार बुलाने की बड़े-बड़े लोगों ने कोशिश की,मगर वो कभी नहीं आये।मुशायरा कमेटी के सभी सदस्यों के मन में मुनव्वर राना को बुलाने के लिए एक योजना बनाई गई और रुड़की की जनता की ओर से अंतराष्ट्रीय शायर अफजल मंगलौरी के सम्मान में मुशायरा करने के निर्णय लिया गया,इसमें मुनव्वर राना को निमंत्रण दिया गया।उन्होंने ये तुरंत कबूल करते हुए अपनी मंजूरी दे दी,क्योंकि वे शायर अफजल मंगलौरी को बेहद स्नेह और सम्मान करते थे।कार्यक्रम के स्वागत अध्यक्ष रहे पूर्व विधायक काज़ी निजामुद्दीन ने बताया कि मुनव्वर राना के किसी कार्यक्रम में आने पर उस समय लाखों की शर्तें लगा करती थी,मगर जश्न में आकर उन्होंने अफजल मंगलौरी से अपने प्रेम का सबूत दिया और मुझे मुनव्वर राणा को लखनऊ से रुड़की और यहां से दिल्ली और कलकत्ता तक यात्रा का सौभग्य मिला। हरिद्वार में बाइक और कार रैली निकालकर लोगों को किया यातायात नियमों के प्रति जागरूक कार्यक्रम के सह संयोजक रहे पूर्व पार्षद पीयूष ठाकुर के अनुसार रुड़की में जश्न तो अफजल मंगलौरी का था,मगर कई जिलों के लोग मुनव्वर राणा को सुनने के लिए दिन में ही नेहरु स्टेडियम में जमा होने लगे थे।उस यादगार ऐतिहासिक मुशायरे में पचास कवि व शायर,दो सौ लालबत्तियों की गाड़ियां,सैकड़ों ट्रेक्टर,कारों व बसों से लोग बाहरी शहरों व गांवों से आये थे।कार्यक्रम के स्वागत सचिव रहे मजलिस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ०नैयर काजमी बताते हैं कि मुनव्वर राना का रुड़की आना नगर वासियों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं था,क्योंकि किसी को विश्वास नहीं था।डॉ०नैयर बताते हैं कि उन्होंने एक शेर पढ़ कर रूड़की वासियों अफजल मंगलौरी से अपने जुड़ाव का इजहार कुछ यूं यू व्यक्त किया था कि…..मुझको बुलाने वालों की उम्रें गुजर गईं,लेकिन मैं तेरे एक इशारे पर आ गया।उक्त् कार्यक्रम के प्रचार सचिव रहे इमरान देशभक्त ने बताया कि वर्ष 2000 में पहली बार रुड़की आने वाले मुनव्वर राना उस ऐतिहासिक मुशायरे का जिक्र जीवन पर्यंत करते रहे और उन्होंने अपने अनेक इंटरव्यू में भी रुड़की की जनता को याद किया।मुनव्वर राना के निधन पर शोक व्यक्त करने वाले लोगों में पंडित मनोहर लाल शर्मा पूर्व मंत्री,साहित्यकार सुखबीर सिंह सैनी,सचिन गुप्ता,अफजल मंगलौरी,डॉ०अनिल शर्मा सरल,ओम प्रकाश नूर,हाजी मोहम्मद सलीम खान,डॉ०रविन्द्र सैनी,ईश्वर लाल शास्त्री,सुनील साहनी,डॉ०प्रेरणा कौशिक,हाजी नौशाद अहमद,एडवोकेट नवीन कुमार जैन,कविता रावत,हाजी मोहम्मद मतीन,ध्रुव गुप्ता,रियाज कुरैशी,सलमान फरीदी,सै०नफिसुल हसन आदि के नाम शामिल हैं। Post Views: 1,058 Post navigation चौधरी सुभाष नंबरदार शीत लहर में जरूरतमंदों को बांटे कंबल प्राण प्रतिष्ठा पर रुड़की को छोटी अयोध्या की तरह सजाया जाएगा:वीडियो