पहाड़ी परंपराओं, लोककला और त्योहारों को संवारने की नई दिशा — “अपना पहाड़, अपनी पहचान” देहरादून, 3 नवम्बर। संजीव मेहता। उत्तराखंड की पहचान उसकी अद्भुत सांस्कृतिक विरासत, लोक परंपराओं और पहाड़ी अस्मिता से है — और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार इस धरोहर को सहेजने के साथ इसे आर्थिक और सामाजिक विकास का माध्यम बनाने की दिशा में उल्लेखनीय कदम उठा रही है। राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष 2025 में धामी सरकार ने “अपना पहाड़, अपनी पहचान” थीम के तहत पहाड़ी संस्कृति, लोकभाषाओं और पारंपरिक पर्वों को पुनर्जीवित करने की विशेष पहल की है।ग्राम स्तर पर आयोजित ईगास-बग्वाल, फूलदेई, हरेला, उत्तरायणी, और नंदा देवी राजजात जैसे पर्व अब केवल परंपरा नहीं, बल्कि राज्य की गौरवमयी पहचान बन चुके हैं। मुख्यमंत्री धामी ने कहा — “हमारी संस्कृति हमारी आत्मा है। उत्तराखंड का सर्वांगीण विकास तभी संभव है जब हम अपनी परंपराओं को सम्मान और नई पीढ़ी को पहचान दें।” राज्य सरकार द्वारा पहाड़ी व्यंजन, लोक संगीत, पारंपरिक हस्तशिल्प और जागर, छोलिया नृत्य, रणबाजा, ढोल-दमाऊं जैसी कलाओं को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं।पहाड़ी उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए “एक जनपद एक उत्पाद” योजना के तहत स्थानीय कारीगरों और महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन मिल रहा है। सरकार द्वारा स्थापित संस्कृति संरक्षण केंद्रों के माध्यम से अब गांव-गांव में पारंपरिक नृत्य, गीत-संगीत और लोक कला को नई पीढ़ी सहेज रही है। धामी सरकार ने लोक कलाकारों के मानदेय में वृद्धि, लोककला मेलों के आयोजन, और युवाओं को सांस्कृतिक पर्यटन से जोड़ने जैसे कदम उठाकर यह साबित किया है कि विकास केवल सड़कों और भवनों से नहीं, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़ने से होता है। 🌄✨“उत्तराखंड के पर्व, लोकगीत और परंपराएं ही उसकी पहचान हैं।धामी सरकार ने इन्हें जीवंत बनाकर राज्य को सांस्कृतिक रूप से सशक्त किया है।” Post Views: 2,743 Post navigation उत्तराखंड के लेखक गांव में अंतरराष्ट्रीय स्पर्श हिमालय महोत्सव शुरू, नामचीन हस्तियों ने की शिरकत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर रजत जयंती सप्ताह में स्वरोजगार मेला — युवाओं व महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा