Voice Of India शारदीय नवरात्रि प्रारम्भ हो चुके हैं। हर जगह शक्ति की भक्ति का माहौल बना हुआ है। माता दुर्गा के अस्त्र और शस्त्र उनकी शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक हैं, जिससे वह बुराई और अधर्म को नष्ट करती हैं। मां इससे दुष्टों का संहार करती हैं और भक्तों की रक्षा करती हैं। साथ ही माता इन अस्त्र-शस्त्रों और अपने वस्त्र परिधानों से संसार को कुछ संदेश भी देती हैं जानिए क्या कहती हैं माता।

मां के हाथों में सुदर्शन चक्र
माता के हाथों में सुदर्शन चक्र है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने देवी दुर्गा को सुदर्शन चक्र भेंट किया था। ये इस बात का प्रतीक है कि पूरी सृष्टि को माता रानी नियंत्रित करती हैं और पूरा ब्रह्माण्ड सृष्टि के केंद्र के चारों और घूमता है।

तलवार
माता दुर्गा को तलवार भगवान गणेश ने भेंट की है। तलवार ज्ञान के प्रसार का प्रतिनिधित्व करती है जबकि इसकी चमक ज्ञान की प्रतीक है।

धनुष और वाण
मान्यता है कि देवी दुर्गा को धनुष और वाण सूर्यदेव और पवनदेव ने भेंट किए थे,जो ऊर्जा के प्रतीक हैं। धनुष स्थितिज ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है और वाण गतिज ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। ये इस बात का भी प्रतीक है कि माँ शक्ति ही ब्रह्माण्ड में ऊर्जा के सभी स्रोतों को नियंत्रित करती हैं।

शंख
मां दुर्गा को शंख वरुण देव ने भेंट किया था। मान्यता है कि मां दुर्गा के शंख की ही ध्वनि से ही सैंकड़ों असुरों का नाश हो जाता है। शंख का नाद नकारात्मकता को दूर करता है।

गदा
महिषासुर का वध करने के लिए विष्णु भगवान ने मां को गदा दी थी। यह शक्ति का प्रतीक है यानि जब भी हम कमजोर पड़ें तो गदा की तरह शक्तिशाली हो जाएं।

कमल पुष्प
देवी को कमल पुष्प ब्रह्माजी ने दिया था। कमल हमें बताता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य रखने और कर्म करने से सफलता अवश्य मिलती है। जिस प्रकार कमल कीचड़ में रहकर उससे अछूता रहता है, उसी प्रकार मनुष्य को भी सांसारिक कीचड़, वासना, लोभ, लालच से दूर होकर सफलता को प्राप्त करना चाहिए। खुद में आध्यात्मिक गुणवत्ता को विकसित करना चाहिए।

त्रिशूल
भगवान शिव ने माता को त्रिशूल दिया था। त्रिशूल तीन गुणों का प्रतीक है। संसार में तीन तरह की प्रवृत्तियां होती हैं- सत यानी सतगुण, रज यानी सांसारिक और तम मतलब तामसी प्रवृत्ति। त्रिशूल के तीन नुकीले सिरे इन तीनों प्रवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन गुणों पर हमारा पूर्ण नियंत्रण हो। त्रिशूल का यही संदेश है।

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