देहरादून:संजीव मेहता। उत्तराखंड का इतिहास रहा है कि वहां से लोकसभा चुनाव में उसी पार्टी के ज्यादा उम्मीदवार जीतते रहे हैं, जिस पार्टी की केंद्र में सरकार बनी या सरकार में शामिल रही। 1989 और 2004 यानी दो बार ही ऐसा हुआ कि सत्ता में आने वाली पार्टी को उत्तराखंड की कुल पांच सीटों में से तीन से कम सीटें मिली। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पांचों सीटें बीजेपी जीती और केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी। साल 2019 में भी उत्तराखंड ने अपना यह इतिहास दोहराया और यहां से बीजेपी ने सभी पांचों सीटों पर जीत दर्ज की। इस बार राज्य की सभी पांच सीटों के लिए 19 अप्रैल को वोटिंग है। ऐसे में लोकसभा चुनाव को लेकर प्रदेश की राजनीति गरमाती दिखने लगी है। वहीं, राजनीतिक फिजाओं में समीकरणों पर चर्चा भी शुरू हो गई है।

UCC या अग्निवीर, क्या हावी

इस बार भी मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है। उत्तराखंड को बीजेपी की नई प्रयोगशाला माना जा रहा है। यहां बीजेपी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) यानी यूसीसी का कानून पास कर चुकी है और अब उसके नियम बनाए जा रहे हैं। हालांकि यह अभी लागू नहीं हुआ है लेकिन बीजेपी इसे खूब भुना रही है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है (गोवा को छोड़कर) जिसने UCC पास किया है। बीजेपी के चुनावी वादे में भी UCC था। दूसरी तरफ, कांग्रेस ने अग्निवीर का मसला उठाया है। भारतीय सशस्त्र सेनाओं में भर्ती की नई स्कीम ‘अग्निपथ’ का कांग्रेस शुरू से विरोध करती रही है। चुनाव से पहले कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया है।

उत्तराखंड सैन्य बहुल राज्य है। राज्य में डेढ़ लाख से ज्यादा पूर्व सैनिक और सैनिकों की विधवा हैं। उत्तराखंड के तीन हजार से ज्यादा सैनिक हर साल रिटायर होते हैं। आर्म्ड फोर्सेज (आर्मी, नेवी और एयरफोर्स) में उत्तराखंड से अभी 70 हजार से ज्यादा सैन्यकर्मी हैं। राज्य में सैनिक-पूर्व सैनिक और उनके परिवार के ही करीब 4.5 लाख वोटर हैं। राजनीतिक लिहाज से यह संख्या काफी अहम है। ऐसे में देखना होगा कि क्या अग्निवीर बड़ा मुद्दा बन पाएगा और क्या कांग्रेस को इसका फायदा मिलेगा?

गढ़वाल सीट पर बीजेपी के तीरथ सिंह रावत ने 2019 में करीब 2.85 लाख वोटों से जीत दर्ज की, जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी इस सीट पर करीब 1.84 लाख वोटों के अंतर से जीती थी। इस बार बीजेपी ने गढ़वाल सीट से अपने मुख्य प्रवक्ता अनिल बलूनी को टिकट दिया है। कांग्रेस ने गणेश गोदियाल को उम्मीदवार बनाया है।

टिहरी-गढ़वाल सीट पर भी पिछले चुनाव में जीत का अंतर बढ़ा था। 2019 में बीजेपी उम्मीदवार माला राज्यलक्ष्मी ने करीब 2.91 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की, जबकि 2014 में यह अंतर 1.92 लाख वोटों का था। बीजेपी ने मौजूदा सांसद पर भी भरोसा जताया है और कांग्रेस ने जोत सिंह गुनसोला को टिकट दिया है।

नैनीताल सीट पर बीजेपी के अजय भट्ट ने तीन लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। इस बार फिर बीजेपी ने इस सीट पर अजय भट्ट को ही उम्मीदवार बनाया है। पिछले लोकसभा चुनाव में अजय भट्ट ने कांग्रेस नेता हरीश रावत को हराया था। कांग्रेस ने यहां प्रकाश जोशी का उम्मीदवार बनाया है।

उत्तराखंड सैन्य बहुल राज्य है। राज्य में डेढ़ लाख से ज्यादा पूर्व सैनिक और सैनिकों की विधवा हैं। उत्तराखंड के तीन हजार से ज्यादा सैनिक हर साल रिटायर होते हैं। आर्म्ड फोर्सेज (आर्मी, नेवी और एयरफोर्स) में उत्तराखंड से अभी 70 हजार से ज्यादा सैन्यकर्मी हैं। राज्य में सैनिक-पूर्व सैनिक और उनके परिवार के ही करीब 4.5 लाख वोटर हैं। राजनीतिक लिहाज से यह संख्या काफी अहम है। ऐसे में देखना होगा कि क्या अग्निवीर बड़ा मुद्दा बन पाएगा और क्या कांग्रेस को इसका फायदा मिलेगा?

 

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