चंड़ीगढ़, संजीव मेहता। हरियाणा में भाजपा को झटका लगा है। तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा से समर्थन वापस ले लिया है। हरियाणा में उन्होंने कांग्रेस में को बाहर से समर्थन देने का एलान कर दिया है। साथ ही आने वाले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के साथ रहने की बात कही है। तीन विधायक रोहतक पहुंचे हैं। यहां उन्होंने नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। वहीं एक और निर्दलीय विधायक के बारे में समर्थन वापस लेने की चर्चा है। उनका अभी इंतजार है। 

नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान भी प्रेस वार्ता में मौजूद हैं। विधायकों ने नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में चल रही हरियाणा सरकार से अपना समर्थन वापस लेते हुए महंगाई बढ़ने और बेरोजगारी का मुद्दा उठाया है। विधायकों ने समर्थन वापस लेकर नायब सिंह सैनी सरकार को संकट में डाल दिया है। कुछ दिन पहले ही भाजपा सरकार ने बहुतम साबित किया था।

फिलहाल हरियाणा विधानसभा में 90 में से 88 सदस्य हैं। करनाल विधानसभी सीट पर उपचुनाव होने हैं, क्योंकि पूर्व सीएम मनोहर लाल ने इस्तीफा देकर यह सीट मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के चुनाव लड़ने के लिए खाली की थी। निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला भाजपा में शामिल हो चुके हैं और अपने विधायकी से इस्तीफा दे चुके हैं। विधानसभा में फिलहाल 88 में से 40 एमएलए भाजपा के, 30 कांग्रेस, 10 जजपा, एक इनेलो और एक हरियाणा लोकहित पार्टी से हैं। वहीं अभी छह सदस्य निर्दलीय हैं। इनमें से तीन कांग्रेस के तो तीन भाजपा के साथ हैं। 88 सीट में बहुमत के लिए भाजपा को 45 का आंकड़ा चाहिए। जिनमें 40 एमएलए भाजपा के खुद के हैं तीन निर्दलीय और एक हलोपा के एमएलए का समर्थन भाजपा को है।

ऐसे में संख्या 44 तक पहुंचती है, जो बहुमत से एक कम है, और सरकार अल्पमत में आ रही है। इससे लगता है कि सैनी सरकार संकट में आ गई है, लेकिन कुछ जजपा विधायक भी भाजपा को समर्थन का एलान कर चुके हैं। ऐसे में अभी के लिए ये खतरा सरकार से टल सकता है और 25 मई को करनाल में उपचुनाव का नतीजा भी सरकार का फैसला कर सकता है। अगर यहां नायब सिंह सैनी जीत जाते हैं तो बिना जजपा के विधायकों के समर्थन के भाजपा निर्दलियों और हलोपा के साथ ही सरकार में बनी रह सकती है। लेकिन तीन विधायकों की समर्थन वापसी ने सैनी सरकार पर संकट के बादल जरूर ला दिए हैं।