नई दिल्ली, मीडिया रिपोर्ट । यहां तो मकान-खेतों व तालाबों में है भारत-बांग्लादेश, गलियों में है सीमा रेखा भारत के पड़ोसी मुल्क ‘बांग्लादेश’ में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के चलते प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। वे फिलहाल भारत में हैं। बांग्लादेश से लगती भारतीय सीमा की सुरक्षा के लिए हाई अलर्ट जारी किया गया है। बीएसएफ पूरी तरह चौकस एवं सतर्क है। भारत और बांग्लादेश सीमा का कुछ हिस्सा ऐसा है, जहां अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा (आईबी) मकानों, गलियों, खेतों और तालाबों से गुजरती है। मकान एक है, मगर उसका कमरा भारत में है तो किचन बांग्लादेश में है। सोने का कमरा बांग्लादेश में तो पशुओं का बाड़ा हिन्दुस्तान में है। अब यहां पर घुसपैठ की प्रबल संभावना बन गई है। हालांकि बीएसएफ ने आईबी के ऐसे इलाकों में निगरानी बढ़ा दी है, लेकिन बांग्लादेश बॉर्डर की सुरक्षा करने वाली फोर्स, जिसे बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश ‘बीजीबी’ कहा जाता है, उसकी 200 से अधिक कंपनियों को बॉर्डर से वापस बुला लिया गया है। इन कंपनियों को कानून व्यवस्था में लगाया गया है। ऐसे में बांग्लादेश की तरफ से घुसपैठ की संभावना बढ़ गई है। आयुर्वेद सर्वाधिक प्राचीन, वैज्ञानिक व प्रामाणिक चिकित्सा पद्धति: आचार्य बालकृष्ण बता दें कि सीमा पर एक ही मकान और एक ही गली में भारत-बांग्लादेश, ये दोनों देश मौजूद हैं। दोनों देशों के बीच खींची गई अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा (आईबी) घरों और गलियों में से होकर गुजरती है। किसी घर का एक कमरा भारत में है तो दूसरा कमरा बांग्लादेश की सीमा में स्थित है। घर का एक दरवाजा भारत में खुल रहा है तो दूसरा दरवाजा बांग्लादेश में खुलता है। आईबी पर एक जगह तो ऐसी है, जहां मात्र तीन फुट की गली के बीचोंबीच से आईबी रेखा गुजर रही है। ऐसे में जब कोई आदमी उस गली में चलता है तो उसका एक पांव भारत में टिकता है और दूसरा पांव बांग्लादेश में होता है। ऐसे में अंदाजा लगा सकते हैं कि बीएसएफ को इतने सघन बॉर्डर पर चौकसी करने में कितना पसीना बहाना पड़ता होगा। भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर स्थित गांव हरिपुकुर में ऐसी ही स्थिति देखी जा सकती है। यह गांव बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले में पड़ता है। सीमा रेखा के दूसरी ओर पश्चिम बंगाल का दक्षिण दिनाजपुर जिला है। इस गांव में एक तालाब भी है। हालांकि सीमा रेखा के मुताबिक, वह भारत में है, लेकिन उसका इस्तेमाल दोनों देशों के लोग कर लेते हैं। इस गांव में अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा जिगजैग आकार में खींची गई है। तालाब के किनारे से होते हुए जब गांव में प्रवेश करते हैं तो एक गली आती है। इस गली की चौड़ाई मुश्किल से दो-तीन फुट है। गली के एक तरफ भारत है तो दूसरी ओर बांग्लादेश है। जब भी कोई व्यक्ति इस गली से गुजरता है तो वह एक साथ भारत-बांग्लादेश में चल रहा होता है। इसी तरह यहां पर जो मकान बने हैं, वे भी आधे भारत में हैं और आधे बांग्लादेश में हैं। गांव में एक मस्जिद है, जिसका आधा-आधा हिस्सा दोनों देशों में है। लोग ऐसे घरों में जाते हैं और गली में भी चलते हैं, जो दोनों देशों में स्थित हैं। जब बीएसएफ या बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के जवान गश्त पर आते हैं तो वे लोग सावधान हो जाते हैं। गांव में खेत-खलिहान या पशुओ के बाड़े भी एक साथ बने हैं। खेतों में जब पानी दिया जाता है तो वह दस इंच चौड़ी आईबी को लांघ कर एक-दूसरे की सीमा में चला जाता है। पश्चिम बंगाल के लोग जब यहां खेती करने आते हैं तो वे बांग्लादेश के लोगों से बातचीत करते हैं। वे एक साथ बैठते हैं। फसल कटती है तो वह कभी भारत की सीमा में गिरती है तो कभी बांग्लादेश में। गांव के पशु सीमा पार जाकर एक-दूसरे देश के खेतों में चरते रहते हैं। उन्हें लाना होता है तो सीमा भी लांघनी पड़ती है। अगर कोई बीमार है या किसी के साथ कोई हादसा हो गया है तो उस वक्त गली के बीच से गुजर रही सीमा रेखा को नहीं देखा जाता। सीमा सुरक्षा बल के लिए बॉर्डर के इस हिस्से की चौकसी करना उतना आसान भी नहीं है। अगर कोई तस्कर आगे भाग रहा है और उसके पीछे बीएसएफ है तो वह गली के किसी भी उस मकान में घुस जाता है जो बांग्लादेश की सीमा में पड़ता है। इसके बाद बीएसएफ जवान, इंतजार या चेतावनी देने के अलावा कुछ नहीं कर सकते। गांव के अनेक ऐसे घर हैं, जिनका आगे का दरवाजा भारत में खुलता है तो पीछे का बांग्लादेश में। कई अवसरों पर तस्कर इसी का फायदा उठाते हैं। जैसे ही उन्हें भनक लगती है कि पुलिस या बीएसएफ वाले आ रहे हैं तो वे संदिग्ध वस्तु या सामान को गली के पार फेंक देते हैं। यानी वह वस्तु अब सीमा के पार चली गई है। बीएसएफ जवान संदिग्ध गतिविधियों पर 24 घंटे नजर रखते हैं। अगर हमारे पास इंटेलीजेंस से कोई ऐसी सूचना आई है कि बांग्लादेश की सीमा में गलत हरकत हो रही है या तस्कर कोई संदिग्ध वस्तु लाएं हैं तो हम बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश को सूचित कर देते हैं। मौजूदा हालात में बीजीबी, कानून व्यवस्था में लगी है। ऐसे में बीएसएफ की चुनौती बढ़ गई है। Post Views: 1,310 Post navigation आयुर्वेद सर्वाधिक प्राचीन, वैज्ञानिक व प्रामाणिक चिकित्सा पद्धति: आचार्य बालकृष्ण उत्तराखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ द्वारा सुशीला खत्री के नेतृत्व में प्रधानमंत्री के नाम दिया ज्ञापन