संजीव मेहता वौइस् ऑफ इंडिया । दुनिया पहले के मुकाबले काफी एडवांस हो चुकी है. पहले जहां कई तरह की भ्रांतियां दुनिया को पिछड़ा बनाकर रखती थी, वहीं समय के साथ लोग पढ़े-लिखे बनते गए. ऐसे में उन्होंने कई कुप्रथाओं को मानने से इंकार कर दिया. लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग हैं, जो इन कुप्रथाओं को सीने से लगाकर रखे हुए हैं. उनके मुताबिक़, इन रिवाजों की वजह से ही उनकी पहचान है. भले ही इसके लिए उन्हें खून के रिश्ते ही शर्मसार करने क्यों नहीं पड़ जाते.।

कुप्रथाओं की बात करें तो इसमें बांग्लादेश के एक जनजाति का जिक्र जरूर आता है. इस ट्राइब में बाप-बेटी के रिश्ते को कलंकित किया जाता है. जी हां, जिस बाप के सीने से लगकर बेटी खुद को हर तरह की समस्याओं से मुक्त महसूस करती है, उसी बाप से यहां बेटियां डरती है. इसके पीछे वजह है भी बेहद डरावनी. दरअसल, बांग्लादेश के इस ट्राइब में जैसे ही बेटी बड़ी होती है, उसका पिता ही उसका पति बन जाता है.

पहले पिता, फिर पति
हम बात कर रहे हैं बांग्लादेश के मंडी जनजाति की. इस जनजाति में बेहद अजीबोगरीब प्रथा सदियों से चली आ रही है. यहां अगर कोई महिला कम उम्र में विधवा हो जाती है तो मर्द उससे दूसरी शादी कर लेता है. इसमें वो उसे पत्नी के सारे अधिकार देता है. उसका भरण-पोषण करता है. ।

लेकिन अगर महिला की पहली शादी से कोई बेटी है तो उसकी शादी भी उसी शख्स से उसी समय करवा दी जाती है. बड़ी होने के बाद उसे बताया जाता है. इसी शर्त पर वो विधवा को सुहागन बनाने को तैयार होता है. यानी जिस बच्ची को कम उम्र में पिता कहलवाता है, बाद में वो मर्द उसी का पति बन जाता है.

खुद को मानता है मसीहा
मंडी जनजाति के मर्द इस कुप्रथा को सदियों से मानते आ रहे हैं. उनका तर्क है कि इस रिवाज की वजह से वो दो महिलाओं का जीवन सवार देते हैं. पहले विधवा मां की और बाद में उसकी बेटी की. लेकिन इस कुप्रथा ने आजतक कई बच्चियों की जिंदगी तबाह कर दी है. मंडी जनजाति की ओरोला नाम की लड़की ने इस कुप्रथा का खुलासा किया था. उसने बताया कि जब वो बेहद छोटी थी, तब उसके पिता का देहांत हो गया था. तब उसकी मां ने एक अन्य मर्द से शादी की थी. ओरोला ने पिता समझ उसे इज्जत दी थी. लेकिन जब वो बड़ी हुई तो इसी सौतेले बाप ने उससे शादी कर उसकी इज्जत लूट ली.