पेरिस, ऐजेंसी।विनेश फोगाट के फाइनल मैच से पहले अयोग्य घोषित होने पर भारतीय दल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनशॉ पौडीवाला ने वजन बढ़ने के कारण गिनाए। उन्होंने कहा, “विनेश के पोषण विशेषज्ञ ने महसूस किया कि वह दिन भर में 1.5 किलोग्राम लेती है, जो मुकाबलों के लिए पर्याप्त ऊर्जा देता है। कभी-कभी प्रतियोगिता के बाद वजन बढ़ने का कारक होता है। विनेश के तीन मुकाबले हुए, निर्जलीकरण को रोकने के लिए, उसे कुछ मात्रा में पानी दिया जाना था। हमने पाया कि उसका वजन सामान्य से अधिक बढ़ गया था और कोच ने वजन घटाने की सामान्य प्रक्रिया शुरू की, जो वह हमेशा विनेश के साथ करता है। रात भर हमने वजन घटाने की प्रक्रिया जारी रखी। सभी प्रयासों के बावजूद, हमने पाया कि विनेश का वजन उसके 50 किलोग्राम वजन वर्ग से 100 ग्राम अधिक था। हमने उसके बाल काटने और उसके कपड़े छोटे करने सहित सभी संभव कठोर उपाय किए। इसके बावजूद, हम उस 50 किलोग्राम वजन वर्ग में नहीं आ सके। अयोग्यता के बाद, एहतियात के तौर पर, निर्जलीकरण को रोकने के लिए विनेश को अंतःशिरा तरल पदार्थ दिए गए।”

ओलंपिक के कुश्ती मुकाबले में गोल्ड/सिल्वर मेडल की दहलीज तक पहुंची विनेश फोगाट को वजन बढ़ने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया है। इस बड़ी घटना से देश के लोगों में गुस्सा देखा जा रहा है। विपक्षी नेताओं ने इस मामले में कोई बड़ी साजिश होने की आशंका जताई है। मामले की गंभीरता से जांच कराने की मांग हो रही है। चंडीगढ़ प्रशासन में कुश्ती कोच दर्शन पाराशर कहते हैं, विनेश फोगाट के साथ हुई यह घटना हैरान और दुखी करने वाली है। ओलंपिक में विनेश, गोल्ड तक पहुंच सकती थी। इस मामले में कहीं तो चूक हुई है। इसके लिए केवल पहलवान जिम्मेदार नहीं होता। कोच व तकनीकी टीम भी साथ रहती है। देखने वाली बात यह है कि किसके स्तर पर जिम्मेदारी में कोताही बरती गई है। कोई तो है जो अपनी जिम्मेदारी पूरी करने में फेल रहा है। 

बता दें कि पहले विनेश फोगाट, 53 किलोग्राम के वेट में खेलती थीं। बाद में वे पचास किलोग्राम पर आई थीं। ओलंपिक में विनेश ने छह अगस्त की रात को महिला कुश्ती के 50 किलोग्राम के भार वर्ग मुकाबले में क्यूबा की पहलवान को शिकस्त दी थी। इसके बाद विनेश की तरफ से गोल्ड या सिल्वर मेडल जीतने की उम्मीद बंध गई थी। कुश्ती के कोच दर्शन पाराशर कहते हैं, ओलंपिक में वजन का बहुत अहम रोल होता है। कई बार खिलाड़ी की लापरवाही की वजह से वजन कम या ज्यादा हो जाता है। हालांकि जो खिलाड़ी, ओलंपिक में गोल्ड/सिल्वर जीतने की दहलीज पर पहुंच गई हो, वहां पर ऐसी लापरवाही/चूक हो, ऐसी संभावना न के बराबर है। खुद पहलवान भी बहुत गंभीर रहता है। 

बतौर कोच दर्शन, मुकाबले से पहले महिला पहलवान का वजन होता है। दिन के मुकाबले के लिए अमूमन सुबह वजन किया जाता है। यह वजन तकनीकी टीम की देखरेख में होता है। कोच वहां पर मौजूद रहता है। यहां पर देखने वाली बात यह है कि आखिर ये चूक किसके स्तर पर हुई है। पहलवान को मालूम होता है कि उसका वजन कम या ज्यादा हुआ है। ऐसे में वह उसे बैलेंस करने का प्रयास करता है। कई बार ऐसा भी होता है कि तकनीकी टीम या कोच से कुछ बातें छिपा ली जाएं। पहलवान अपने स्तर पर ही वजन को तय सीमा में लाने का प्रयास करता है। ऐसे मामले में कई बार गलती हो जाती है। यहां पर चूक तो हुई है। इसका जिम्मेदार कौन है, यह तो जांच के बाद ही पता चल सकेगा। 

महिला पहलवान पूजा ढांढा कहती हैं कि खिलाड़ी को एक तय समय सीमा में ही वजन देता होता है। उस सीमा को आगे पीछे नहीं किया जा सकता है। पहलवान वजन देने में देरी करता है, तो भी वजन लेने से मना किया जा सकता है। अगर मैच जीत कर कोई खिलाड़ी सेमीफाइनल या फाइनल में पहुंचता है, तो सुबह के वक्त उसका वजन किया जाता है। कई बार ऐसा होता है कि खिलाड़ी के प्रयास करने के बाद भी वजन कम नहीं होता। दूसरा, पहले से ही अगर वजन एक दो किलो बढ़ा है, तो वह कम करना मुश्किल होता है। विभिन्न परिस्थितियों में तेजी से वजन गिरना बंद हो जाता है। प्रेक्टिस के बाद भी वजन कम नहीं होता। खून देने या बाल कटाने जैसी बातों से ज्यादा वजन कम नहीं होता। संभव है कि किसी कारण से वजन ग्राम में नहीं, बल्कि किलो में बढ़ गया हो। जब उसे कम करने के लिए मेहनत की जाती है तो वह कुछ ग्राम बच गया हो।