हरिद्वार, संजीव मेहता। उत्तराखंड में भाजपा के सामने मैदानी जिलों में प्रदर्शन सुधारने की चुनौती होगी। विधानसभा चुनाव में भाजपा हरिद्वार और नैनीताल लोकसभा की 14 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस, बसपा से चुनाव हार गई थी।

हरिद्वार और नैनीताल लोकसभा के तहत कुल 28 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में इनमें से पचास फीसदी सीटों पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था। हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में आने वाली 14 में से भाजपा आठ सीटों पर जीत नहीं पाई थी।

जबकि नैनीताल लोकसभा क्षेत्र की छह सीट पर हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का दावा है कि पार्टी राज्य की पांचों लोकसभा सीटों को बड़े अंतर से जीतने में कामयाब रहेगी। उन्होंने कहा कि मैदान और पहाड़ सभी क्षेत्रों में भाजपा ने 75 फीसदी से अधिक मत हासिल करने का लक्ष्य रखा है

भाजपा ने तराई में जीत के लिए खास रणनीति बनाई है। इसके तहत आने वाले दिनों में पार्टी के शीर्ष नेताओं की यहां ज्यादा संख्या में रैली और जनसभाएं देखने को मिलेंगी। इसके साथ ही पार्टी ने यहां पर संगठन को चुस्त किया है। पार्टी ने पूर्व में लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों को इन विधानसभा क्षेत्रों में भेजकर रिपोर्ट भी तैयार कराई। उसके आधार पर इन क्षेत्रों में संगठन को मजबूत करने पर विशेष फोकस किया गया

हार का अंतर पाटने की कोशिश

भाजपा ने मैदानी जिले के बूथों पर पिछली बार के मुकाबले 370 अधिक मत हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इसके पीछे असल मकसद हारी हुई विधानसभा क्षेत्रों में वोट बढ़ाने का है। पार्टी के रणनीतिकारों को लगता है कि यदि एक बूथ पर पिछली बार से 370 मत ज्यादा मिले तो विधानसभा चुनावों में मिली हार को अब जीत में बदला जा सकता है।

भाजपा को कलियर में मिली थी सबसे बड़ी हार

विधानसभा चुनावों के दौरान हरिद्वार जिले में भाजपा पीरान कलियर सीट पर सबसे ज्यादा 15 हजार के करीब मतों से हारी थी। इसके अलावा खानपुर, मंगलौर सीट पर तीसरे स्थान पर रही। जबकि हरिद्वार की अन्य हारी हुई सीटों पर जीत हार का अंतर एक हजार से लेकर 10 हजार तक रहा था।

इसी तरह नैनीताल और यूएस नगर की हारी हुई सीटों पर भी भाजपा दो से 10 हजार के अंतर से पीछे रही थी। अब इन सभी सीटों पर पार्टी के सामने हार को जीत में बदलने और मत प्रतिशत बढ़ाने की चुनौती होगी।