विदेशः संजीव मेहता।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच हाल ही में व्हाइट हाउस में हुई बैठक में जबरदस्त विवाद देखने को मिला. इस तनावपूर्ण बातचीत के बाद ट्रंप ने ज़ेलेंस्की को बैठक से बाहर जाने तक के लिए कह दिया. इस टकराव के चलते अमेरिका और यूक्रेन के बीच प्रस्तावित ‘मिनरल्स डील’ पर भी कोई समझौता नहीं हो सका. इस विवाद के बाद जहां अमेरिका के रिपब्लिकन नेता ट्रंप के समर्थन में आ गए, वहीं यूरोप के कई देश खुलकर यूक्रेन के पक्ष में खड़े हो गए हैं.  

इस बैठक का मुख्य मुद्दा रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका द्वारा यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य व आर्थिक सहायता था. ट्रंप ने ज़ेलेंस्की पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि अगर वे रूस के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार नहीं होते, तो अमेरिका अपने समर्थन पर पुनर्विचार करेगा. ट्रंप ने दो टूक शब्दों में कहा, “यूक्रेन को रूस के साथ समझौता करना ही होगा, वरना हम अपनी मदद वापस ले लेंगे.”  जेलेंस्की ने पुतिन को आतंकी और हत्यारा कहा है. उनके इस बयान से ट्रंप आगबबूला हो गए. ट्रंप ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर जेलेंस्की पुतिन को अपमानित करेंगे तो उनके साथ काम नहीं करेंगे. 

इस बयान के बाद ट्रंप और ज़ेलेंस्की के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिससे बैठक का माहौल तनावपूर्ण हो गया. ट्रंप के इस रुख को लेकर अमेरिका में भी दो धड़े बन गए हैं. एक तरफ रिपब्लिकन नेता ट्रंप के समर्थन में खड़े हैं, वहीं दूसरी ओर यूरोपीय देशों ने ज़ेलेंस्की का साथ देने का फैसला किया है.  

ट्रंप के बयान के बाद दुनिया दो गुटों में बंटी  

ट्रंप और ज़ेलेंस्की के इस विवाद के बाद वैश्विक स्तर पर प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं. अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने ट्रंप के पक्ष में ट्वीट करते हुए कहा, “ट्रंप जो कह रहे हैं, वह सच है. ज़ेलेंस्की वर्षों से अमेरिका को रूस के साथ परमाणु युद्ध में घसीटने की कोशिश कर रहे हैं.”  

इसके विपरीत, यूरोपीय देशों ने इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाते हुए ज़ेलेंस्की का समर्थन किया है. यूरोपीय संघ (EU) और NATO से जुड़े कई देशों ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है. इटली ने इस मुद्दे पर एक आपातकालीन शिखर सम्मेलन बुलाने का प्रस्ताव दिया है.  

यूक्रेन के समर्थन में आए ये देश  

ट्रंप-ज़ेलेंस्की विवाद के बाद स्लोवेनिया, बेल्जियम, आयरलैंड, ऑस्ट्रिया, कनाडा, रोमानिया, क्रोएशिया, फिनलैंड, एस्तोनिया, लातविया, नीदरलैंड, फ्रांस, लक्ज़मबर्ग, पुर्तगाल, स्वीडन, जर्मनी, नॉर्वे, चेक गणराज्य, लिथुआनिया, मोलदोवा, स्पेन, पोलैंड, यूके और पूरे यूरोपीय संघ (EU) ब्लॉक ने यूक्रेन के प्रति अपना समर्थन जताया है.  

विवाद के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने की स्थिति में अमेरिका की यूक्रेन नीति में बड़े बदलाव हो सकते हैं. इससे यूरोपीय देशों के सामने एक नई चुनौती खड़ी हो सकती है, क्योंकि वे अब तक अमेरिकी सहयोग के साथ रूस के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए थे. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप के इस कदम के बाद यूक्रेन की रणनीति क्या होगी और वैश्विक शक्ति संतुलन पर इसका क्या असर पड़ेगा. और साथ में ये भी कि क्या चीन की इसमें एंट्री होती है. क्या वह यूक्रेन के साथ या उसके खिलाफ खड़ा होता है? क्योंकि अमेरिका चीन पर भी काफी सख्ती बरत रहा है. ऐसे में ये कयास लगाए जा रहे हैं कि अमेरिका के खिलाफ चीन भी कोई बड़ा फैसला ले सकता है.