खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वे अब खुलेआम प्रशासन को चुनौती दे रहे हैं। सिमलसेंण गांव के पास पिंडर नदी में खनन का पट्टा आवंटित होने के बाद भी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

थराली दिव्या टाइम्स इंडिया।खनन नियमावली के अनुसार, नदी से खनन कार्य केवल सीमित संसाधनों और हल्के उपकरणों से किया जा सकता है। सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश हैं कि भारी मशीनों, विशेषकर पोकलैंड जैसी बड़ी मशीनों से खनन की अनुमति नहीं दी जा सकती। लेकिन इसके बावजूद, संबंधित खनन कारोबारी नियमों को ताक पर रखकर दिन-रात बड़े-बड़े मशीनों के माध्यम से पिंडर नदी का सीना चीर रहा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि नदी के बहाव को भी जानबूझकर मोड़ा जा रहा है, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि भविष्य में आपदा का खतरा भी बढ़ सकता है।

प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्यों अब तक इस अवैध खनन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। जब क्षेत्रीय प्रशासन को खनन नियमों की जानकारी है, तो फिर ऐसे माफियाओं के खिलाफ सख्ती क्यों नहीं दिखाई जा रही?

इस संबंध में एसडीएम थराली पंकज भट्ट ने जानकारी देते हुए कहा, “जिस खनन व्यवसायी को यह पट्टा आवंटित हुआ है, उसे बड़े मशीनों से खनन करने की अनुमति नहीं है। यदि जांच में पाया गया कि भारी मशीनों का प्रयोग किया जा रहा है, तो संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

बावजूद इसके, सवाल बना हुआ है कि जब अनियमितताएं स्पष्ट हैं तो कार्रवाई में इतनी देरी क्यों? क्या प्रशासन की यह चुप्पी किसी मिलीभगत की ओर इशारा कर रही है या फिर खनन माफिया की पकड़ इतनी मजबूत हो गई है कि शासन भी लाचार दिख रहा है?

स्थानीय जनता की मांग है कि जल्द से जल्द इस अवैध खनन पर रोक लगाई जाए और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि पिंडर नदी और क्षेत्रीय पर्यावरण की रक्षा हो सके।