देहरादून/हरिद्वार।संजीव मेहता।
धर्मनगरी हरिद्वार में बीते कुछ समय से औद्योगिक नक्शा पास करने को लेकर दो विभागों — हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण (HRDA) और राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (सीडा) — के बीच खींचतान चल रही थी। लेकिन अब तस्वीर साफ हो चुकी है। देहरादून में गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में विवाद का समाधान हो गया है।

विवाद की पृष्ठभूमि:

DM मयूर दीक्षित ने चार्ज लेते ही साफ कर दिया था कि औद्योगिक क्षेत्रों में HRDA कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। इसके बाद विवाद और गहराया। HRDA की ओर से 9 मई को औद्योगिक विकास विभाग को बाकायदा पत्र लिखकर यह स्पष्ट किया गया कि सीडा उनके अधिकार क्षेत्र में नक्शे पास कर रहा है, जिससे न केवल प्रशासनिक असमंजस पैदा हो रहा है बल्कि राजस्व की भी हानि हो रही है।

बैठक में क्या हुआ साफ:

सीडा अब केवल अधिसूचित क्षेत्रों में ही नक्शे पास करेगा।

भगवानपुर व पुराने चिन्हित औद्योगिक क्षेत्रों में सीडा को अधिकार मिलेगा।

नए और विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में नक्शा पास करने का अधिकार HRDA के पास रहेगा।

अब तक सीडा द्वारा HRDA क्षेत्र में पास किए गए नक्शों को या तो निरस्त किया जाएगा या HRDA अपने नियमानुसार पुनः परीक्षण करेगा।

राजस्व और ज़मीन की चिंता:

सीडा जहां केवल ₹20 प्रति वर्गमीटर शुल्क वसूलता है, वहीं HRDA ₹200 प्रति वर्गमीटर तक लेता है। इस अंतर से सरकार को भारी राजस्व हानि हो रही थी। साथ ही, सीडा द्वारा पास की गई कई औद्योगिक इकाइयां आबादी के बेहद करीब बनाई गईं, जिससे सुरक्षा और आधारभूत सुविधाओं की भारी कमी देखी गई।

HRDA और सीडा के बड़े बयान:

👉 वाईएस पुंडीर (सीडा प्लानिंग):
“कुछ भ्रम था जो अब स्पष्ट हो चुका है। नोटिफिकेशन के अनुसार, केवल चिन्हित औद्योगिक क्षेत्रों में सीडा नक्शे पास करेगा।”

👉 अंशुल सिंह (VC, HRDA):
“सीडा अब अधिकार क्षेत्र से बाहर नक्शे पास नहीं करेगा। पहले से स्वीकृत नक्शों को निरस्त करने या पुनः परीक्षण की कार्रवाई होगी। सीडा ने जो शुल्क वसूला है, उसका 90% प्राधिकरण को मिलना चाहिए, जो अब तक नहीं मिला।”

इब्राहिमपुर हादसे का जिक्र भी आया

हालिया हादसे में आबादी क्षेत्र के पास एक फैक्ट्री में आग लगने से 3 लोगों की मौत हुई। ना सही सड़क, ना सुरक्षा के इंतज़ाम — ऐसे उदाहरणों ने यह स्पष्ट कर दिया कि अनियोजित विकास से जान-माल का कितना बड़ा खतरा होता है।

🛑 अब उम्मीद है कि दोनों विभागों की भूमिकाएं स्पष्ट होने के बाद औद्योगिक विकास में पारदर्शिता आएगी और जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता मिलेगी।