हरिद्वार संजीव मेहता। हरिद्वार में अवैध खनन का खेल दिन-ब-दिन बेलगाम होता जा रहा है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि—शिकायतों की भरमार, सबूतों के ढेर और स्थानीय आक्रोश के बावजूद आखिर क्यों नहीं रुक रहा गणेश स्टोन क्रेशर का गैरकानूनी काम? सूत्रों के मुताबिक, इस क्रेशर का मालिक बंटी, जो पहले मुज़फ्फरनगर में माफिया गतिविधियों को लेकर चर्चा में रहा है, अब हरिद्वार के शांत जंगलों और नदियों में खुलेआम खनन कर रहा है। न मशीनें छिपती हैं, न ट्रक। फिर भी—कोई रोकने वाला नहीं। प्रशासन मौन क्यों है? स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों और खनन माफिया के बीच कोई “डील” जरूर है, जो बंटी को हर शिकायत के बावजूद अछूत बनाए हुए है।यह मौन किसी मजबूरी का नहीं, संलिप्तता का प्रतीक बनता जा रहा है। बालाजी क्रेशर में भी पोकलेन मशीन से खनन! ना केवल गणेश स्टोन क्रेशर, बल्कि बालाजी क्रेशर में भी पोकलेन मशीनों से अवैध खनन धड़ल्ले से चल रहा है।इस तकनीकी खनन से न केवल पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, बल्कि जलस्तर और जैव विविधता पर भी सीधा प्रभाव पड़ रहा है। यह सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, यह हरिद्वार की ‘हरियाली’ का नरसंहार है जो हो रहा है वो कोरी लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित साजिश है। यह खनन माफिया का ऐसा गठजोड़ है जो सत्ता, सिस्टम और संरक्षण तीनों को जेब में डाले हुए है।यह दृश्य पर्यावरणीय हत्या का सबूत है—और सवाल सिर्फ प्रशासन से नहीं, बल्कि जनता की आंखें खोलने का है। 📌 मांग उठती है: उच्चस्तरीय जांच कमेटी का गठन हो खनन स्थलों पर ड्रोन सर्वे कराया जाए दोषियों पर गैंगस्टर एक्ट तक की कार्रवाई हो पर्यावरण विशेषज्ञों के साथ क्षेत्रीय मूल्यांकन रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए 🛑 अगर अब भी चुप रहे तो आने वाली पीढ़ियां पूछेंगी — किसने बेचा हरिद्वार? किसने कुचला प्रकृति को? Post Views: 2,909 Post navigation नीलम की स्नैक स्टोरीज: मुंबई और दिल्ली का स्ट्रीट फूड अब गुड़गांव में हरिद्वार में नक्शा पास विवाद पर विराम! सीडा और HRDA के अधिकार क्षेत्र अब स्पष्ट